Himachal Pradesh Parvat Dhara Yojana 2023: हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना को शुरू किया गया है. इस योजना के अंतर्गत राज्य के जल स्रोतों का संग्रहण, प्रबंधन एवं संरक्षण करने के लक्ष्य शामिल किए जाएंगे. जैसा कि आप लोगो को पता है कि हिमाचल प्रदेश पहाड़ी इलाका है. राज्य के दो तिहाई भाग में वन है और 27% भाग हरित आवरण से ढका हुआ है. राज्य के लोग पानी की बहुत ज्यादा बर्बादी कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में राज्य में भूजल स्तर बहुत नीचे चला जाएगा जिसकी वजह से पानी की बहुत बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है.
इसी बात को ध्यान में रखते हुए हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना को शुरू किया गया है. इसके अंतर्गत भूजल स्तर एवं जल स्रोतों का विकास किया जाएगा. लाहौल और स्पीति मंडलों को छोड़कर अन्य सभी 10 मंडलों में इस योजना को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू कर दिया गया है. आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना का उद्देश्य, लाभ, विशेषताएं आदि की जानकारी प्रदान करेंगे.
Himachal Pradesh Parvat Dhara Yojana क्या है?
जल का संरक्षण करने के लिए और जल की बर्बादी को रोकने के लिए हिमाचल प्रदेश में हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना को शुरू किया है. इस योजना के अंतर्गत जल स्त्रोतों का विकास किया जाएगा और पानी की कमी को दूर किया जाएगा. हिमाचल प्रदेश में ढलान दार खेतों में सिंचाई की सुविधा करने के लिए छोटे बड़े जल संचयन ढांचो का निर्माण करवाया जाएगा. यह योजना 10 मंडलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू हो गई है. इस योजना के अंतर्गत 110 छोटे छोटे तालाब, विभिन्न प्रकार के 600 चेक डैम एवं चेक वॉल और 12000 कन्टूर ट्रैंच का निर्माण किया जाएगा.
इसके अतिरिक्त यह योजना पौधारोपण को भी बढ़ावा देगी. सरकार इस योजना पर 2 करोड़ 76 लाख रुपए खर्च करने वाली है. वन विभाग द्वारा भी इस योजना में भूमिका निभाई जाएगी.
Overview of Himachal Pradesh Parvat Dhara Yojana
Name of Scheme | HP Parvat Dhara Yojana |
Announced By | मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी के द्वारा |
Department | वन विभाग |
Objectives | राज्य के वन क्षेत्र में जल स्तर को बढ़ाना |
Benefits | वन क्षेत्रों में सिंचाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध करवाना |
Budget | 2 करोड़ 76 लाख रुपए |
योजना के तहत शामिल मंडल | 10 वन मंडल |
अधिकारिक वेबसाइट | http://himachalpr.gov.in/ |
Himachal Pradesh Parvat Dhara Yojana का उद्देश्य
हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के भूजल स्तर में सुधार करना है. इस योजना के अंतर्गत भूजल स्तर में सुधार लाया जाएगा और जल संरक्षण को बढ़ावा दिया जाएगा. ढलानदार क्षेत्रों में सिंचाई के लिए जल संग्रहण का निर्माण भी किया जाएगा क्योंकि जल संग्रहण के निर्माण से जल स्तर में सुधार आएगा. इस योजना को अभी केवल 10 जिलों में बिलासपुर, हमीरपुर, जोगिंद्रनगर, नाचन, पार्वती, नूरपुर, राजगढ़, नालागढ़, योग और डलहौजी आदि जिलों में ही शुरू किया गया है.
इस योजना को 10 जिलों में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया है. जैसा कि आप सभी लोगों को पता है कि हिमाचल प्रदेश पहाड़ी क्षेत्र है. इसलिए यहां पर सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की जरूरत होती है. इस योजना के माध्यम से जल स्त्रोतों का विकास किया जाएगा जिससे जल की कमी दूर होगी.
मुख्यमंत्री शोध प्रोत्साहन योजना
Benefits and Features of Himachal Pradesh Parvat Dhara Yojana
- इस योजना को हिमाचल प्रदेश के 10 जिलो बिलासपुर, हमीरपुर, जोगिंद्रनगर, नाचन, पार्वती, नूरपुर, राजगढ़, नालागढ़, योग एवं इलहोजी में शुरू किया गया है.
- यह योजना जल संरक्षण को बढ़ावा देने में मददगार साबित होगी.
- ढलानदार खेतों में सिंचाई के लिए छोटे-बड़े जल संचयन ढांचे बनाए जाएंगे और उनका रखरखाव किया जाएगा.
- इस योजना के अंतर्गत 110 छोटे छोटे तालाब, विभिन्न प्रकार के 600 चेक डैम व चेक वॉल और 12000 कन्टूर ट्रैंच बनवाए जाएंगे.
- हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना के तहत जल और मिट्टी दोनों का संरक्षण किया जाएगा.
- इस योजना के लिए सरकार ने 2 करोड़ 76 लाख रुपए का बजट निर्धारित किया है.
- हिमाचल प्रदेश पर्वत धारा योजना का नोडल विभाग जल शक्ति विभाग होगा.
- वन विभाग द्वारा भी इस योजना के कार्यान्वयन में भूमिका निभाई जाएगी.
- इस योजना के अंतर्गत राज्य में पौधारोपण भी करवाया जाएगा.
- यह योजना राज्य के मुख्यमंत्री श्री जयराम ठाकुर जी द्वारा शुरू की गई है.
Himachal Pradesh Parvat Dhara Yojana के अंतर्गत जल स्तर को कैसे बढ़ाया जाएगा?
सरकार जल स्तर बढ़ाने के लिए विभिन्न प्रकार के छोटे बड़े तालाबों का निर्माण किया जायेगा और इसके साथ ही चेक डैम व चेक वॉल का निर्माण भी किया जाएगा. इनका निर्माण होने के बाद जल को अधिक समय तक भूमि में रोका जा सकता है. जलस्तर में बढ़ोतरी होने के बाद स्थानीय लोगों को खेतों में सिंचाई करने के लिए पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध करवाया जाएगा. इससे वे आसानी से खेती कर सकेंगे.